शिव बाबा ईश्वरीय विश्व विद्यालय FAQ
– हमारा मुख्य उद्देश्य पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में स्थापित करना, और राजयोग व आध्यात्मिक शिक्षा के माध्यम से सुख, शांति और पवित्रता लाना है।
– हमारी स्थापना 5 दिसंबर, 2003 को गढ़मुक्तेश्वर, उत्तर प्रदेश में हुई और वर्तमान में हमारा मुख्यालय कदम चौक, कछुआ, बिहार में है।
इसलिए, क्योंकि हमारा मानना है कि हम सभी संगमयुगी आत्माओं के तीन पिता होते हैं, लेकिन शारीरिक पिता और प्रजापिता ब्रह्मा से भी ऊंचे हम सभी के परमपिता तो शिव हैं। जहां तक कि ब्रह्मा के भी पिता शिव हैं इसलिए हमें इस नाते खुद को शिवकुमार कहना चाहिए लेकिन फिर सवाल उठता है कि शिव के संतान तो सभी हैं तो फिर हम संगमयुगी बाबा के बच्चे कलयुग के बच्चों से कैसे अलग पहचाने जाएंगे। जबकी हमें पता है कि परमात्मा शिव हम सब संगमयुगी बच्चों को राजयोग की शिक्षा दे कर हमें स्वर्ग का राजा बनाते हैं इसलिए हम राजयोगी कहते हैं।
– हम सफेद कपड़ा पवित्रता, मन की शुद्धि, और देह अभिमान के त्याग के प्रतीक के रूप में पहनते हैं। यह मर्जीवा अवस्था को दर्शाता है, जिसमें आत्मा शरीर में होते हुए भी शरीर का भान नहीं करती। शरीर छोड़ने पर कफन का कपड़ा भी सफेद होता है, इसी प्रतीकात्मकता को हम अपनाते हैं।
– सतयुग में आठ राजधानियों का अस्तित्व इसलिए होगा क्योंकि सनातन धर्म में राजा और रानी अलग-अलग राज्यों से होते हैं, जिससे स्वयंवर की परंपरा मान्य होती है। यह परंपरा तब ही संभव होती है जब राज्य एक से अधिक हों।
– आठ राजधानियाँ इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि सतयुग में आठ राजधानियों के राजा कलयुग तक आकर आठ विभिन्न धर्मों की स्थापना करते हैं।
– नहीं, हम चाहते हैं कि लोग शारीरिक आकर्षण से परे होकर आत्मिक प्रेम के कारण रिश्तों से जुड़ें। शारीरिक आकर्षण उम्र के साथ ढल जाता है, लेकिन आत्मिक प्रेम हमेशा स्थायी रहता है।
– राजयोग एक ध्यान विधि है, जिससे आत्मा को शुद्ध कर परमात्मा से जोड़ा जाता है। इसे ध्यान, योग और आत्म-ज्ञान के माध्यम से किया जाता है।
– हम ध्यान, योग, प्रवचन और आत्म-ज्ञान की शिक्षा प्रदान करते हैं, जिससे आत्मा को शुद्ध कर परमात्मा से जुड़ने में मदद मिलती है।
– हम वृद्धाश्रम, गौशाला, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण, और मुफ्त स्वास्थ्य शिविर जैसे विभिन्न सामाजिक कार्यों में संलग्न हैं।
– हम वृद्धाश्रम में वृद्ध लोगों को सुरक्षित आवास, स्वास्थ्य सेवाएं, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ, और मानसिक व भावनात्मक समर्थन प्रदान करते हैं।
– नहीं, हम किसी उम्र, धर्म, जाति, रंग या किसी विशेष योग्यता आदि की मांग नहीं करते हैं। हम धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करते हैं और हमारा मानना है कि हम सभी एक सर्वोच्च ईश्वर की संतान हैं।
– राजयोग की शिक्षा नियमित ध्यान सत्र, योग कक्षाएं, प्रवचन और कार्यशालाओं के माध्यम से दी जाती है।
– हाँ, हमारी संस्था महिला सशक्तिकरण में विश्वास रखती है और महिलाओं को शिक्षा और कौशल विकास के माध्यम से सशक्त बनाती है।
– हाँ, हम बच्चों के लिए विशेष आध्यात्मिक शिक्षा, ध्यान और योग के कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
– हमारा दृष्टिकोण एक ऐसी दुनिया का निर्माण करना है जहाँ एकता, शांति और सद्भावना हो, और हर व्यक्ति एक-दूसरे की मदद करे।
– हम वृक्षारोपण, स्वच्छता अभियान और ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ जागरूकता और कार्रवाई जैसे पर्यावरणीय प्रयास करते हैं।
– नहीं, हमारी संस्था में सदस्यता निशुल्क है। हम सभी को आध्यात्मिक और सामाजिक सेवाओं का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित करते हैं।
– हमारी संस्था में जुड़ने से आत्मिक शांति, सकारात्मक सोच, समाज सेवा का अवसर, और राजयोग के माध्यम से आत्मा की शुद्धि प्राप्त होती है।
– हमारा मुख्य संदेश है कि आध्यात्मिकता और राजयोग के माध्यम से आत्मा को शुद्ध कर, परमात्मा से जुड़कर, समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।
– हाँ, हम डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन कक्षाएं और वेबिनार आयोजित करते हैं ताकि लोग दूर से भी राजयोग की शिक्षा प्राप्त कर सकें।
– हमारे संस्थान के संचालक प्रजापिता पवन मिश्रा (बाबा) और सह संचालिका राजयोगिनी अंचल (मम्मा) हैं।
– हाँ, हमारी संस्था धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखती है और सभी धर्मों और संप्रदायों के लोगों का स्वागत करती है।
– राजयोग के अभ्यास से आत्मा की शुद्धि, मानसिक शांति, आत्म-नियंत्रण, और परमात्मा से जुड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है।
– हाँ, समय- समय पर, हम समुदाय के लिए मुफ्त स्वास्थ्य जांच और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करते हैं।
– हमारा मिशन है आध्यात्मिक शिक्षा और सामाजिक सेवा के माध्यम से समाज को उन्नत करना और सकारात्मक परिवर्तन लाना।
– हम ध्यान, योग, आत्म-ज्ञान और सामाजिक सेवाओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
– आप किसी भी दिन हमारी संस्था में जुड़ सकते हैं और हमारी सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। किन्तु एक विशेष समय सुबह 5 बजे से शाम 8 बजे तक आश्रम खुला रहता है।